
मैं इश्क में अपने दिल को आग लगा सकती हूँ
मैं इतना प्यार कर सकती हूँ की अपनी हस्ती मिटा दूं
मई महीने की दोपहर से भी ज्यादा तेज है मेरी मोहब्बत की गर्मी
जब तुम्हारा social media scrolling खत्म हो जाए तो इस तरफ भी थोड़ा ध्यान दे लेना
मेरे प्यार की राख को भभूत समझ के माथे पर लगा देना
इसी तरह सही कम से कम कुछ देर के लिए ही
I will be on your mind
what to do about this romantic heart?

कोई अपने आप से कितना ही प्यार कर लेगा?
मैं भले ही अपनी favourite बन जाऊं, खुद के लिए फूल खरीद लूं, खुद को गले लगा लूँ, अपनी पसंदीदा लिपस्टिक लगा लूँ, खुद को डेट पर भी ले जाऊँ…
फिर भी यह अकेलापन तो रहेगा ना
जब तक आप किसी और की आंखों में प्यार का reflection नहीं देखोगे तब तक यह कैसे साबित होगा कि प्यार है?
हम अपने आप से प्यार करने के लिए थोड़ी आए हैं यहाँ
हम यहां प्यार बांटने आए हैं
इसका हिसाब रखने के लिए नहीं
और जो लोग प्यार के जमाखोर (hoarders) होते हैं
वो बड़े ही मतलबी व्यापारी होते हैं
A poem born out of joblessness

मैं काम ढूंढती हूं पर काम मुझे नही ढूंढता
घर के काम में मन लगाना चाहूं तो
हाथों पर सिर्फ घाव लगते हैं
दोपहर में कब सोचते-सोचते नींद लग जाती है पता नहीं चलता
फिर मैं उठकर और सोचती हूं
सोचती ही रहती हूं बस
की मैं अगर पूरे A4 साइज के प्रिंटिंग पेपर में आ जाती
तो यह CV और रेस्युमें क्या काम आते
फिर दाघ साहब का एक शेर याद आता है
हजारों काम मोहब्बत में हैं मजे के दाघ
जो लोग कुछ नहीं करते वो कमाल करते हैं